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चुनाव आयुक्त के चयन में कैबिनेट मंत्री के आने को लेकर सत्ता और विपक्ष के अलग-अलग विचार

Hazaribagh : चुनाव आयुक्तों के चयन में अगर कैबिनेट मंत्री को लाने के केंद्र सरकार के विधेयक का विपक्ष विरोध कर रहा है. वहीं सत्ता पक्ष का कहना है कि इसमें केंद्रीय मंत्री के आने से किसी को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए. केंद्र सरकार ने सोच-समझकर ही यह फैसला लिया होगा.

केंद्र सरकार ने सोच-समझकर ही फैसला लिया होगा : जीतेंद्र जैन

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alt="जीतेंद्र जैन" width="457" height="475" /> जीतेंद्र जैन[/caption] भाजपा नेता जीतेंद्र जैन ने कहा कि चुनाव आयुक्तों के चयन में अगर कैबिनेट मंत्री को लाने की बात है, तो निश्चित रूप से केंद्र सरकार ने कुछ बेहतर सोच कर फैसला लिया होगा. इसे सकारात्मक दृष्टि से देखने की जरूरत है. इससे किसी को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए. सरकार के कैबिनेट मंत्री के रहने से चुनाव आयुक्त की स्वतंत्रता बाधित नहीं होगी, बल्कि उन्हें सहयोग ही मिलेगा. विपक्ष इसे दूसरे रूप में प्रचारित कर रही है.

ऐसे में चुनाव पारदर्शी और निष्पक्ष नहीं रह जाएगा : डॉ आरसी प्रसाद मेहता

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alt="डॉ आरसी प्रसाद मेहता" width="683" height="285" /> डॉ आरसी प्रसाद मेहता[/caption] कांग्रेस नेता डॉ. आरसी प्रसाद मेहता कहते हैं कि केंद्र सरकार सत्ता में बने रहने के लिए यह काम कर रही है. चुनाव आयुक्त के चयन में कैबिनेट मंत्री का आना कहीं से सही नहीं है. ऐसे में चुनाव पारदर्शी और निष्पक्ष नहीं रह जाएगा. जिसकी लाठी, उसकी भैंस वाली कहावत चरितार्थ हो जाएगी. इस विधेयक को लाने की जरूरत नहीं है.

केंद्र सरकार अपनी सुविधा के लिए यह प्रस्ताव ला रही है : संजर मलिक

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alt="संजर मलिक" width="720" height="636" /> संजर मलिक[/caption] राजद नेता संजर मलिक कहते हैं कि केंद्र सरकार अपनी सुविधा के लिए यह प्रस्ताव ला रही है. इस बार भाजपा को भय है कि कहीं सत्ता छिन न जाए. ऐसे में चुनाव आयुक्त को ही हाइजैक करने की चाल चल रही है. चुनाव आयुक्तों के चयन में केंद्र सरकार का हस्तक्षेप कहीं से सही नहीं है. मूल संविधान से छेड़छाड़ करना कहीं से उचित नहीं है.

चुनाव आयुक्तों के चयन में हस्तक्षेप सही नहीं : अनूप राजेश लकड़ा

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alt="अनूप राजेश लकड़ा" width="640" height="640" /> अनूप राजेश लकड़ा[/caption] समाजसेवी अनूप राजेश लकड़ा कहते हैं कि चुनाव आयुक्तों के चयन में हस्तक्षेप सही नहीं है. सरकार के अधीन आने से कहीं न कहीं सत्तापक्ष को इससे लाभ मिलने से इनकार नहीं किया जा सकता. विपक्ष को धराशायी करने के लिए यह सब कदम उठाना उचित प्रतीत नहीं होता. इस विधेयक से लोकतंत्र की पारदर्शिता प्रभावित होगी. इस विधेयक को लाने की जरूरत नहीं है.

विधेयक लाने के पूर्व पूरी चर्चा होनी चाहिए : आनंद मरांडी

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alt="आनंद मरांडी" width="783" height="1275" /> आनंद मरांडी[/caption] झामुमो नेता आनंद मरांडी का कहना है कि इस विधेयक को लाने के पहले पूरी चर्चा होनी चाहिए. हर पहलुओं पर सूक्ष्मता से विचार करने के बाद ही इस विधेयक को पास करना चाहिए. चुनाव आयुक्तों को स्वतंत्र और निष्पक्ष होना चाहिए. चयन समिति में कैबिनेट मंत्री के आने से यह सत्ता पक्ष के पाले में गेंद चली जाएगी. कोई माने या न माने, निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव पर उंगलियां उठनी तय है. इस लोकतांत्रिक देश में चुनाव आयुक्तों के चयन के लिए उठाया गया यह कदम सही नहीं प्रतीत होता. इसे भी पढ़ें : झारखंड">https://lagatar.in/jharkhand-tpc-took-responsibility-for-the-murder-of-coal-trader-rajendra-sahu/">झारखंड

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